Tuesday, September 10, 2013

मुबारक हिना ...



तेरे हाँथों में 
आज भी जिन्दा हूँ .. कैसे, 
मुबारक हिना के 
खुशबू से पूछ लेना 
जो यकीं न हो तो ..

तेरे हाँथों के सुर्ख रचे
गोटे से निकल के 
सरल वरन 
पर कथित मेरा ही संवाद देगा 
ये हिना ..
जिसके सुर्ख रंगों के देख 
तेरे आँखों में एक सवालिया 
बीज पनपता था हमेशा 

क्या .. सच में 
ये हिना के गोटे  की लाली 
तेरे अकूट प्रेम की निशानी है ...

जवाब होगा वही जो 
तेरा दिल चाहता है .. हाँ 

तनिक हैरान होगी 
पर सुर्ख पड़े रंगों की लाली 
देख .. अवश्य ही तुझे 
यकीं हो जायेगा 
तेरे हाँथों के हिना का भी 
नाता मुझसे ही है ...

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