Friday, November 23, 2012

तू मेरी कवियत्री ...

जीवन पथ में भावनाओ संग करे ऐसी हम मैत्री,
की में बन जाऊं तेरा कवी तू मेरी कवियत्री !

जो में लिखू कभी फिर तेरे बारे में
तो तू शब्द बन जाये,
जो तू कभी लिखे तो
में छंद बन जाऊं,
लिपट किसी मुर्शिद के गले से
जब हम दो निकले
हीर के अशारों के तब कद्र बढ़ जाये !

सुन ये उम्र दराज़ हो जाये हर प्रेमी की
इतनी प्यारी शिद्दत खुदा में भी आ जाये,
चाँद फिर कभी आसमा में ना निकले
ओर चकोर के हर विरहा की दुःख दूर हो जाये,
कुछ ऐसा मिलन धरती पे इन दोनो का हो जाये, 
की एक प्रेम इतिहास नया सा रच जाये,
जो में लिखू कभी तेरे बारे में
तो तू वो सब बन जाये !!

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