Friday, November 23, 2012

मेरे नज़र तू मत तरस ..

मेरे नज़र तू मत तरस यार के दीदार के लिए,
तेरे दर्द का एहसास तेरे दिल के सिवा किसी ओर क्या होगा,

ये चट्टान की बनी दुनिया पत्थर की मूरत को सिर्फ पूजते है,

इसे मासूम दिल का ख्याल क्या होगा,

करवटों में तू चाहे कितनी भी काट ले राते,

बिस्तर पे पड़े सिलवटों की खबर बिछड़े यार को क्या होगा,

सुबह गिले तकिये को धुप रोज की तरह धो देगी,

लापरवाह साँझ को फिर तेरे रात का खबर क्या होगा,

सुना है बेरुखी में लोग छोटी छोटी बातों का फ़साना बना देते है,

फिर ऐसे में मेरे ढाई अक्षर प्रेम का क्या होगा,

चल दिल मेरे तू छुप जा परिंदों की तरह किसी ओर के घोंसले में,

कहीं पेड़ों पे तूफान आ गया तो तेरा क्या होगा,

यार जो हो गई है खफ़ा तेरी वफाओं की वजेह से,

कहीं सवाल कर देगी तो उसके ख़ुशी के लिए, तेरा जवाब क्या होगा !!

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