Sunday, January 1, 2012

जो मिला निशा वो खला है और.... !!



हूँ में अश्कों के सायों में फिर भी दिल ए गुमा है उनपे और,
कहने को तो हर बातें नज़रों से केह दिया जो न केह सका वो जुव़ा है और !!

गुरवत की संजीदगी समेट कर जो तीरे ए नज़र चलाया,

लाल रंग से भींगा वो हाले ए दिल मेरा है और,
यूँ तो तेरे हुस्न के तरकश में खंजर है बहुत,
पर जिससे घायल हुआ मेरा कद तेरा वो कमा (कमान) है और,

तू क्या है ओर किसको है तेरी जरुरत,

पाया है जिसने तुझको उसका हाले दिल बया है और,
यूँ तो तेरी हर तारीखे खली है मेरे चाहतों के पन्नो में,
ढूंढा जब कुछ पाने के लिए उन पन्नो से, जो मिला निशा वो खला है और,

हूँ में अश्कों के सायों में फिर भी दिल ए गुमा है उनपे और,

कहने को तो हर बातें नज़रों से केह दिया जो न केह सका वो जुव़ा है और !!

1 comment:

  1. kahne ko to har baat nazroo s kah diya.....jo n kah ska wo jubaan h kuch aur.....dil ki baate to aakho s byaan ho jatti h....bahut sundar rachna....

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