Tuesday, December 27, 2011

एक ख़त ... !!





मेरे जज्बातों को उन्होंने नाम किसी ओर के कर दिया,
एक ख़त जो लिखा नाम था उनके,
पता बदल के उसका नाम किसी ओर के कर दिया !

चाहतों के दरिया में चले थे जिस कस्ती में साथ- साथ,

बीच सफ़र में आके उन्होंने उसका पतवार किसी ओर के हाँथ कर दिया,
एक ख़त जो लिखा नाम था उनके....

गुम हूँ में अब खुद में नाम लिखू क्या उनके ,

साहिलों पे ही नहीं दिल के दीवारों पे भी नाम लिखे है जिनके,
सोचा फिर कहीं इस पैगाम के लिए डाकिये को बुलाऊँ,
पता चला डाकखाना ही उन्होंने नाम किसी ओर के कर दिया,  
एक ख़त जो लिखा नाम था उनके,
पता बदल के उसका नाम किसी ओर के कर दिया !

चुरा लेते ख़त से कुछ अल्फाज़ तो कोई गम न होता,

आँखों के आंसुओं से ये दिल फिर कभी यूँ नम न होता,
कसमकस में पड़ा हूँ इसलिए की,
उन्होंने मेरा पूरा का पूरा ख़त नाम किसी ओर के कर दिया,
एक ख़त जो लिखा नाम था उनके,
पता बदल के उसका नाम किसी ओर के कर दिया !

3 comments:

  1. बहुत खूब.... ख़त लिखा आपने.....

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  2. बहुत बहुत शुक्रिया ...!!

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  3. khat badle jaa sakte h ...jajbaat nahi....kasmkas m kyo h aap.....bahut achha likha h...

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