Sunday, November 13, 2011

तेरी यादों का इस कदर सहारा है ....!!


तेरी यादों का इस कदर सहारा है,
दूर साहिल पे जैसे मोजो का किनारा है,
कैसे कह दू की कोई ख़ुशी नहीं हमको,
जबकि इसी दम से है दम, की तू हमारा है !!

जिन्दगी हो जाये चाहे कितना भी तन्हा,
वक़्त कर ले हमसे चाहे कितनी भी खता,हम याद तुझी को करेंगे,
उस रब की मूरत की तरह,
तुझे पत्थर बनने पे पूजा हमी करेंगे !
अब तो अपनी तन्हायों में यही पुकारा है
तेरी यादों का इस कदर सहारा है,
दूर साहिल पे जैसे मोजो का किनारा है !!

जिक्र नहीं थी कहीं हाथों की लकीरों में, तेरे साथ की,
शायद इसलिए कदर नहीं की मैंने अपने जज्बात की,
घुट पी के जुदाई का, दबाया हर अरमान को सीने में,
हंस-हंस के सह गया सब कुछ, फिर भी शिकायत नहीं की जीने में,
अब तो अपनी तन्हायों में यही पुकारा है
तेरी यादों का इस कदर सहारा है,
दूर साहिल पे जैसे मोजो का किनारा है !!

मिलते है हर कोई इस दुनिया में, फिर बिछड़ जाते है,
भूल कर लोग उन्हें आगे निकल आते है,
में ना भूलू कभी तेरे इस प्यार को, बस इतनी दुआ करना,
अपनी यादों की गलियों में, तू इतनी सी जगह बनाये रखना,
अब तो अपनी तन्हायों में यही पुकारा है
तेरी यादों का इस कदर सहारा है,
दूर साहिल पे जैसे मोजो का किनारा है !!

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